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ठारखंड के अडानी पावरपॠलांट परियोजना – जबरन भूमि अधिगॠरहण और सरकारी बरॠबरता का सूचक

31 October 2018

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2016 में ठारखंड सरकार ने बहॠत जोरशोर के साथ गोडॠडा ज़िले में ठक पावरपॠलांट सॠथापित करने के लिठअदानी समूह के साथ समठौता किया था। ठारखंड जनाधिकार महासभा, जो कि 30 से अधिक संगठनों का ठक मंच है, के ठक दल ने हाल में ही इस परियोजना का तथॠयानॠवेषण किया। जांच में पता चला कि पिछले दो सालों में परियोजना की कई उपलबॠधियां हैं, जैसे - जबरन भूमि अधिगॠरहण, भूमि अधिगॠरहण कानून 2013 की पॠरकॠरियाओं का वॠयापक उलॠलंघन , किसानों की फसलों को बरॠबाद करना, संभावित लाभों के बारे में लोगों से ठूठबोलना, पॠरभावित परिवारों पर पॠलिस बरॠबरता, केस मॠकदमे करना तथा अनॠय हथकंडो से डराना।

कंपनी की सामाजिक पॠरभाव मूलॠयांकन रिपोरॠट के अनॠसार, थरॠमल पावर पॠलांट के लिठगोडॠडा जिले के दो पॠरखंडो के 10 गांवों में फैली हॠई 1364 ठकड़ भूमि को अधिगॠरहित किया जाना है। इस पॠलांट से 1600 मेगावॉट बिजली की उतॠपादन होगी। ठारखंड सरकार और कंपनी का दावा है कि यह ठक लोक परियोजना है, इससे रोजगार का सृजन और आरॠथिक विकास होगा तथा इस परियोजना में विसॠथापन की संखॠया ‘शूनॠय’ है। कॠल बिजली उतॠपादन का 25 पॠरतिशत ठारखंड को दिया जाठगा।

ज़मीनी वासॠतविकता इन दावों के विपरीत है। भूमि अधिगॠरहण कानून 2013 के अनॠसार, निजी परियोजनाओं के लिठभूमि अधिगॠरहण करने के लिठकम से कम 80 पॠरतिशत पॠरभावित परिवारों की सहमति ठवं गॠराम सभा की अनॠमति की आवशॠयकता है। लेकिन कॠषेतॠर के अधिकांश आदिवासी और कई गैर-आदिवासी परिवार शॠरॠआत से ही परियोजना का विरोध कर रहे हैं। 2016 और 2017 में, सामाजिक पॠरभाव मूलॠयांकन (SIA) और परॠयावरण पॠरभाव मूलॠयांकन (EIA) के लिठजनसॠनवाई आयोजित की गई थी। कई ज़मीन मालिक जो इस परियोजना के विरोध में थे उनॠहें अडानी के अधिकारीयों और सॠथानीय पॠरशासन ने जनसॠनवाई में भाग लेने नहीं दिया। पॠरभावित गॠरामीण दावा करते हैं कि गैर-पॠरभावित कॠषेतॠरों के लोगों को सॠनवाई में बैठाया गया था। ठसी ही ठक बैठक के बाद जिसमें पॠरभावित परिवारों को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया था, गॠरामीणों और पॠलिस के बीच ठड़प हॠई थी और पॠलिस दॠवारा महिलाओं के साथ दॠरॠवॠयवहार ने उन पर पर लाठी चारॠज किया था।

कंपनी की सामाजिक पॠरभाव मूलॠयांकन रिपोरॠट में कई तथॠयातॠमक व वैधानिक तॠरॠटियां हैं जैसे पॠरभावित गांवों में कोई तकनिकी रूप में कॠशल और शिकॠषित वॠयकॠति न होना, शूनॠय विसॠथापन, पॠरभावित गांवों के सभी गॠरामीणों का धरॠम हिंदॠबताना आदि। बटाईदार खेतिहर पर होने वाले पॠरभाव का कोई ज़िकॠर नहीं है। न ही इसमें वैकलॠपिक ज़मीन की बात की गयी है । परियोजना से सृजित होने वाली नौकरियों की संखॠया रिपोरॠट में सॠपषॠट नही है। साथ ही, भूमि अधिगॠरहण के लिठसहमती की विडियो और ज़मीन मालिकों दॠवारा हसॠताकॠषरित सहमती पतॠर उपलबॠध नही हैं। यह गौर करने की बात है कि अधिनियम के अनॠसार पॠरभावित परिवारों का हिसॠसा ज़मीन मालिक, मज़दूर व बटाईदार खेतिहर होते हैं.सरकार ने चार गांवों में लगभग 500 ठकड़ भूमि अधिगॠरहित की है। इसमें से कम-से-कम 100 ठकड़ ज़मीन समॠबंधित 40 पॠरभावित परिवारों की सहमती के बिना जबरन अधिगॠरहण किया गया है। कंपनी ने सॠथानीय पॠलिस के सहयोग से माली गाठव के मेनेजर हेमबॠरम सहित अनॠय पांच आदिवासी परिवारों की 15 ठकड़ जमीन में लगी फसलों, कई पेड़-पौधों, शॠमशान घाटो और तालाब को बरॠबाद कर दिया। मोतिया गांव के रामजीवन पासवान की भूमि को जबरन अधिगॠरहण करने के दौरान, अडानी कंपनी के अधिकारीयों ने उनॠहें धमकी दी कि, "ज़मीन नही दी तो जमीन में गाड़ देंगे†। पॠलिस ने अडानी के अधिकारीयों के खिलाफ उनकी शिकायत दरॠज करने से इंकार कर दिया।

जब माली के लोगों ने उनकी सहमति के बिना ज़बरदसॠती भूमि अधिगॠरहण के खिलाफ गोडॠडा के उपायॠकॠत से शिकायत की, तो उनॠहोंने कारवायी करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनकी भूमि अधिगृहित कर ली गयी है, इसलिठउनॠहें मॠआवजा लेना चाहिठ। पॠरभावित गांवों के लोग दावा करते हैं कि अगर सभी दस गांवों में जमीन अधिगॠरहित की जाती है तो 1000 से अधिक परिवार विसॠथापित हो जाठंगे। इससे उनके आजीविका और रोजगार पर गहरा पॠरभाव पड़ेगा। साथ ही, आदिवासी परिवारों के लिठज़मीन उनकी संसॠकृति, परंपरा और असॠतितॠवा से जॠड़ा है जिसे वे गवाना नहीं चाहते हैं. यह गौर करने की बात है कि संथाल परगना टेनेंसी अधिनियम की धारा 20 के अनॠसार किसी भी सरकारी या निजी परियोजना (कॠछ विशेष परियोजनाओं के अलावा) के लिठकृषि भूमि हसॠतांतरित या अधिगृहित नही की जा सकती है।

परॠयावरण पॠरभाव मूलॠयांकन रिपोरॠट के अनॠसार, हर वरॠष पॠलांट में 14-18 मिलियन टन कोयले का उपयोग किया जाठगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह आस-पास के वातावरण को गंभीर रूप से पॠरभावित करेगा। पॠलांट में पॠरति वरॠष 36 MCM पानी की आवशॠयकता होगी, जिसे सॠथानीय चिर नदी से लिया जाठगा। यह वरॠषा आधारित नदी इस जल-आभाव कॠषेतॠर के लिठजीवनरेखा समान है।

पॠलांट से उतॠपादित बिजली बांगॠलादेश में आपूरॠति की जाठगी। हालांकि अडानी कंपनी को कॠल उतॠपादन का कम से कम 25 पॠरतिशत बिजली ठारखंड को उपलबॠध कराना है, लेकिन इसके समाजीक पॠरभाव मॠलॠयांकन रिपोरॠट में इस 25 पॠरतिशत के सॠरोत का सॠपषॠट रूप से उलॠलेख नहीं है। हाल के ठक नॠयूज़ रिपोरॠट ने यह खॠलासा किया है कि ठारखंड सरकार ने अडानी कंपनी से उचॠच दर पर बिजली खरीदने के लिठ2016 में अपनी ऊरॠजा नीति में बदलाव की थी। इस बदलाव के कारण सरकार से अडानी समूह को अगले 25 वरॠषो में सामानॠय भॠगतान के अलावा 7000 हजार करोड़ रॠका अतिरिकॠत भॠगतान भी मिल सकता है।

जांच से यह सॠपषॠट है कि इस पूरी परियोजना में अभी तक कई कानूनों का घोर उलंघन हॠआ है. इस परियोजना से सॠपषॠट है कि सरकार लोगों का शोषण व उनके संसाधनों का दोहन करके कॉरॠपोरेट घरानों के मॠनाफे को पॠराथमिकता दे रही है। यह आशॠचरॠय की बात नहीं है कि इस परियोजना के भूमि अधिगॠरहण से संबंधित अधिकांश दसॠतावेज जिला पॠरशासन की वेबसाइट पर उपलबॠध नहीं हैं, जैसा कि अधिनियम अंतरॠगत अनिवारॠय है। ठारखंड जनाधिकार महासाभा, सभी संगठनों और कारॠयकरॠताओं की ओर से निमॠन मांग करता हैं:

• अवैध तरीके से लगायी जा रही परियोजना को तॠरंत रोका जाठ, पॠलांट के लिठभूमि अधिगॠरहण को तॠरंत बंद किया जाय और अवैध तरीके से अधिगॠरहित की जा रही ज़मीन को वापिस किया जाठ.

• चॠकि इस परियोजना में कई कानूनों का उलंघन हॠआ है, इस परियोजना का नॠयायिक जांच करवाया जाठतथा लोगों के शोषण के लिठअडानी कंपनी और ज़िमॠमेदार पदाधिकारियों के विरॠदॠध कानूनी कारॠरवाई की जाà¤

सभी पॠरभावित परिवारों को अभी तक हॠठफसलों और आजीविका के नॠकसान के लिठमॠआवजा दिया जाय

तथॠयानॠवेषण रिपोरॠट और महासाभा का परिचय पतॠर संलगॠन है। समॠबंधित दसॠतावेज़ इस लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं - https://drive.google.com/open?id=11QS2oCRSXhQX6BQneAn6WjJVwBldeZl3 . पॠरभावित परिवारों के बयान का विडियो महासभा की youtube चैनल https://www.youtube.com/channel/UCqeFZJtRLHq4LBrE5l5FkJA?view_as=subscriber पर उपलबॠध है। अधिक जानकारी के लिठविवेक (8873341415), कॠमार चंद मारॠडी (9934165214), चिंतमनी साहू (8226961999) या सिराज (9939819763) से संपरॠक करे अथवा jharkhand.janadhikar.mahasabha@gmail।com पर लिखें।