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"न हम साथ हैं, न हम सहमत हैं !"- राषॠटॠरीय यॠवा संगठन [A Leaflet on Mob Violence by Rashtra Seva Dal]

29 June 2017

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देश और समाज को जिस तरह भीड़ में बदल कर, ठक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने का सिलसिला चल रहा है और अभी-अभी जॠनैद तक पहॠंचा है, उसे हम बहॠत गंभीरता व चिंता से देख रहे हैं और इससे अपनी असहमति की घोषणा करने के लिठसारॠवजनिक रूप से सामने आना जरूरी समठते हैं.

इसलिठ“ न हम साथ हैं, न हम सहमत हैं !†नाम से हम ठक अभियान चलाठंगे जिसमें 5 जॠलाई 2017 को, शाम 4 से 7 के बीच रायॠसं के बैनर तले हम सब 3 घंटे के कारॠयकॠरम में अपनी-अपनी जगह जमा होंगे - हम अपने इलाके में रहने वाले सभी समॠदायों से - जाति, धरॠम, सॠतॠरी-पॠरॠष, मालिक-मजदूर, विदॠयारॠथी-शिकॠषक-वकील-डॉकॠटर आदि-आदि का विवेक करते हॠठहम सबसे लगातार संपरॠक करेंगे, और सभी साथ आठं, इसकी पूरी कोशिश करेंगे.

“न हम साथ हैं, न हम सहमत हैं!’ के बैनर के नीचे हम सब जमा होंगे. इस अवसर के लिठतैयार किया ठक परॠचा बांटेंगे, उसे कारॠयकॠरम में मंच से पढ़ कर सॠनाठंगे, कॠछ लोग अपनी बातें रखेंगे, कॠछ लोग कविताठं पढ़ेंगे, जहां संभव हो वहां नॠकॠकड़ नाटक करेंगे, पोसॠटर पॠरदरॠशनी लगाठंगे. भीड़ जमा कर के हतॠयाओं का जैसा दौर चल रहा है और इसमें सरकार-पॠरशासन का जैसा रवैया दीख रहा है, हमें उससे अपनी पूरॠण असहमति जाहिर करते है, गॠसॠसा नहीं, इससे लड़ने का अपना मजबूत संकलॠप जाहिर करते है और समाज का आहॠवान करते है कि हम हिंसक भीड़ में नहीं बदलेंगे बलॠकि संकलॠपवान संगठन के रूप में सामने आ कर समाज के इस पाशवीकरण का विरोध करेंगे और उन सबका मॠकाबला करेंगे जो ठसी मानसिकता फैलाने में लगे हैं.

हम किसी संगठन, वॠयकॠति या सरकार का नाम नहीं लेते लेकिन इस वृतॠति और पॠरवृतॠति पर पूरी ताकत से चोट करते हैं.

रायॠसं की अपने मूलॠयों पर कितनी आसॠथा है हमारी, इसका पॠरमाण देने का यह वकॠत है.

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राषॠटॠरीय यॠवा संगठन

जयपॠरकाश चौक, कॠमारपॠपा मारॠग, सॠटेट बैंक के पास, वरॠधा, महाराषॠटॠर 442 012 फोन: 08007011887 / 08805566623

न हम साथ हैं, न हम सहमत हैं !

सारा देश भीड़ में बदला जा रहा है और हर भीड़ को ठक नाम दे कर, उनॠहें अापस में लड़ाया जा रहा है !

कोई हिंदू वाहिनी है, कोई भगवा बॠरिगेड है; कोई धरॠमरकॠषक सेना है तो कोई गौ-रकॠषक है ! और ये सभी

मिल कर उस ठक निहतॠथे अादमी को मार रहे हैं जो दूसरा है. जो इनसे सहमत नहीं है वह समाज में

रहने का अधिकारी नहीं है, ये ठसा माहौल बना रहे हैं. यह तो समाज को गृहयॠॠदॠध में ठोंकना है;

हिंदॠसॠतान की जड़ पर चोट करना है. हम इसे बहॠत गंभीरता व चिंता से देख रहे हैं और इससे अपनी

असहमति की घोषणा करने सारॠवजनिक रूप से सामने आ रहे हैं.

सवाल है कि कॠया देश को तोड़ कर आप देश को बचा सकते हैं ? यह काम तो पाकिसॠतान बनाने के लिà¤

जिनॠना ने किया था ! कॠया हॠआ उनके पाकिसॠतान का ? सवाल है कि कॠया आदमी को मार कर आप

आदमियों का समाज बना सकते हैं ? यह काम तो महाभारत में भगवान कृषॠण ने किया था. कॠया हॠआ

पांडवों का, कॠया हॠआ कौरवों का और कॠया हॠआ सॠवंय भगवान का और उनके यादव-वंश का ? हतॠयाठं

हतॠयारों को पैदा करती हैं, इंसानों को नहीं !

पॠरशासन का करॠतवॠय है कि वह इन घटनाओं को सखॠती से रोके और जो दोषी है उसे तॠरंत कड़ी सजा दे ।

आज केंदॠर और राजॠय सरकारों की छवि ठसी बनती जा रही है कि वे कानून के नहीं, कानून तोड़ने वालों

के साथ हैं ! अपराधी जमातों को जब यह लगने लगे कि सतॠता अपने साथ है तो समठिठकि लोकतंतॠर

खतॠम हॠआ और भीड़तंतॠर शॠरू हॠआ ! हमारा संविधान देश के हर नागरिक को इजॠजत से जीने का हक देता

है और इस हक की रकॠषा करने का दायितॠव सरकार का है. जब भी और जहां भी सरकारें अपना दायितॠव

भूलें वहां जनता को आगे बढ़ कर उस सरकार के होश ठिकाने लगाने चाहिठ. यही लोकतंतॠर है.

देश जलाने वाली इस आग से हम पहले भी गॠजरे हैं और अपना देश तोड़ बैठे हैं. कॠया हम फिर उसी

रासॠते जाना चाहते हैं ? हम याद रखें कि भीड़ जब किसी ठक आदमी को घेर कर मारती है तो दरअसल

वह आदमी को नहीं, समाज को मारती है. मरने वाला तो ठक होता है पर वह अनेकों को हतॠयारा बना

डालता है. यही तो सब तरफ हो रहा है ! देखिठकितने हतॠयारे सड़कों पर उतर आठहैं ! कॠया हम ठसा

ही भारत बनाना चाहते थे ? नहीं !!

नहीं, हम ठसे लोगों से न तो सहमत हैं, न इनके साथ हैं ! हम सभी से – हर जाति-धरॠम के सॠतॠरी-पॠरॠषों से,

मालिकों-मजदूरों से, विदॠयारॠथियों-शिकॠषकों- वकीलों-डॉकॠटरों से तथा हर यॠवाओं-यॠवतियों कहते हैं कि आओ,

सब आओ ! हम ठक-दूसरे का हाथ पकड़ कर चलेंगे और हर हिंदॠसॠतानी की रकॠषा में तैयार खड़े रहेंगे.